लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन
भाग 7
अनुपमा लाश को देखकर जोर से चीखती हुई बाहर की ओर भागी "खून ! खून" !
वह बुरी तरह से घबरा गई थी । उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे ? घटना ही ऐसी थी कि उसे देखते ही आदमी डर के मारे चिल्लाने लगे । लाश को देखकर अच्छे अच्छे पहलवान डर जाते हैं , फिर वह तो एक स्त्री थी । उसने कभी कोई लाश देखी नहीं थी । लाश भी इतनी विकृत अवस्था में थी कि पहचानी भी नहीं जा रही थी । वह चिल्लाने के अतिरिक्त और कर ही क्या सकती थी इसलिए चिल्लाए जा रही थी "खून ! खून" !
बाहर सड़क पर लोग आ जा रहे थे । कुछ पैदल जा रहे थे तो कुछ दोपहिया वाहनों पर एवं कुछ चौपहिया वाहनों पर जा रहे थे । महानगरीय सभ्यता की यह विशेषता है कि लोग स्वयं में ही जीते हैं । उन्हें औरों से कोई सरोकार नहीं होता है । कोई जिए या मरे, इससे इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है । "फटे में टांग अड़ाने" की प्रवृति गांवों में मिलती है शहरों में नहीं । शहरों में लोग अधिकांशत : अपने काम से काम रखते हैं और "लफड़ों" से दूर रहने का प्रयास करते हैं ।
सुबह नौ बजे का समय था इसलिए सड़क पर खूब चहल पहल थी । लोग अपने अपने काम धंधे के लिए जा रहे थे । सबको अपने गंतव्य तक पहुंचने की जल्दी रहती है इसलिए लोग एक बार चीखती हुई अनुपमा की ओर देखते , थोड़ी देर रुकते और आगे बढ़ जाते थे । संवेदनहीनता की पराकाष्ठा हो गई थी जब अनुपमा की मदद करने कोई आगे नहीं आया । ऐसे समय में अकेला आदमी और भी घबरा जाता है । घबराहट के कारण अनुपमा वहीं बैठकर जोर जोर से विलाप करने लगी । उसकी अंदर जाने की पुन: हिम्मत नहीं हो रही थी ।
एक जवान और सुंदर औरत की मदद करने को एक दो लोग तैयार हो गये । उन्होंने अनुपमा से पूछा "क्या हुआ मैडम" ?
अनुपमा घबरा कर बोली "खून ! कत्ल" !
इस बात पर मददगार भी चौंके और पूछा "कहां" ?
अनुपमा ने अपने घर की ओर इशारा करते हुए रोकर कहा "वहां"
एक दो लोग अंदर गये तो सामने पड़ी हुई लाश को देखकर तुरंत बाहर लौट आये । वे भी अब "खून ! खून " ! चिल्लाने लगे । धीरे धीरे घर के आगे भीड़ इकठ्ठी हो गई और लोग तमाशबीन बनकर इधर उधर देखने लगे । एक दो समझदार इंसान भी थे वहां पर । उन्होंने 100 नंबर पर पुलिस को इत्तला दे दी । थोड़ी देर में पुलिस की वैन आ गई । आते ही पुलिस ने भीड़ इकठ्ठी होने का कारण पूछा तो लोगों ने बता दिया कि घर के अंदर एक व्यक्ति की लाश पड़ी हुई है । पुलिस वैन का इंचार्ज घर के अंदर घुसा और उसने देखा कि लिविंग रूम के बीचो-बीच एक व्यक्ति मरा पड़ा है । उसका बदन खून में सना हुआ है । चेहरे पर चाकुओं के इतने निशान हैं कि उसे पहचानना मुश्किल है । वह सीधा अर्थात चित्त लेटा हुआ है और उसकी आंखें और मुंह खुले हुए हैं ।
लाश देखते ही पुलिस हरकत में आ गई । दो पुलिस मैन दरवाजे पर खड़े हो गये और वे लोगों को घर के अंदर जाने से रोकने लगे । इंचार्ज ने उस थाने को फोन कर दिया और बता दिया कि घर के अंदर एक लाश पड़ी हुई है । तब तक अनुपमा डर के मारे बुरी तरह कांप रही थी और लगातार रोए जा रही थी ।
थोड़ी देर में थानेदार मंगल सिंह आ गया । उसने घर का मुआयना किया तो पाया कि दरवाजा खुला हुआ था । लिविंग रूम में लाश पड़ी हुई थी । लाश खून में नहाई हुई थी । घर के सारे दरवाजे खुले पड़े थे । घर की खिड़कियां भी खुली हुई थीं । घर का सारा सामान अस्त व्यस्त था । प्रथम दृष्ट्या देखने से लग रहा था कि चोरों ने चोरी के इरादे से घर का सामान इधर उधर किया है । फर्नीचर , सोफा , कुर्सी सब औंधे पड़े हुए थे जो चीख चीख कर कह रहे थे कि वहां पर कुछ लोगों में हाथापाई हुई थी । कारपेट भी उलट गई थी कुछ जगह से । सेंटर टेबल का ग्लास टूटा पड़ा था ।
मंगल सिंह ने अपना फोटोग्राफर जो कि वीडियो भी बनाता था , बुलवा लिया और फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट की टीम भी बुलवा ली । अस्पताल से ऐंबुलेंस और मोर्चरी का स्टॉफ भी बुलवा लिया । ये सब लोग आते तब तक वह अनुपमा से जानकारी लेने लगा । अनुपमा के सौन्दर्य पर तो वह पहले से ही फिदा था इसलिए उसे इस घटना से अपने लिए अवसर नजर आने लगे । वह मन ही मन खुश हुआ कि "अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे" । वह रोती हुई अनुपमा से बोला
"रोना धोना छोड़कर मेरे सवालों का जवाब दीजिए" । मंगल सिंह का स्वर सख्त था ।
अनुपमा ने अपना सिर उठाकर भीगी बिल्ली की तरह मंगल सिंह को देखा जैसे कह रही हो कि पूछिए क्या पूछना है आपको । मंगल सिंह ने पूछा
"आपको लाश के बारे में कब पता चला" ?
"जी, अभी कुछ देर पहले" अनुपमा रोते हुए बोली
"एक्जेक्ट टाइम बताइये मैडम" ?
"यही कोई नौ सवा नौ बजे का टाइम था । मैं फ्लाइट से चंडीगढ से आई थी । जैसे ही मैंने गेट खोला तो यह लाश दिखाई दी । डर के मारे मैं बाहर भाग आई और जोर जोर से चिल्लाने लगी" । कहते कहते अनुपमा हांफ गई थी ।
"क्या आप लाश को पहचान सकती हैं" ?
"उसका चेहरा ही इतना विकृत है कि मैं उसे नहीं पहचान सकती हूं कि वह कौन है" ?
"कपड़ों से पहचान सकती हो" ?
"शायद पहचान पाऊं । पर इसके लिए मुझे उसे फिर से देखना पड़ेगा, तब मैं कुछ कह पाऊंगी इंस्पेक्टर साहब" । अनुपमा जैसे तैसे बोली
"तो आप मेरे साथ आइये और लाश को पहचान कर बताइये कि यह कौन व्यक्ति है" ? कहते हुए मंगल सिंह उसे गेट तक ले आया और वहीं से उसे लाश को दिखाते हुए पूछा "क्या अब उस लाश को पहचान सकती हो" ? मंगल सिंह अनुपमा के चेहरे के भावों को पढ़ने लगा ।
अनुपमा ने लाश को अबकी बार गौर से देखा था । चेहरे पर चाकुओं के इतने घाव थे और उन घावों से खून रिस रहा था कि उसे पहचानना मुश्किल हो रहा था । उसके बाल काले और घने थे । उसने चैक वाली शर्ट पहनी हुई थी । यद्यपि वह शर्ट खून से लथपथ थी मगर उसकी बांहों से उसका रंग पता चल रहा था । वह नीले रंग की शर्ट थी । पैंट काली थी जो खून में भीगकर भूरी नजर आ रही थी । कपड़ों से वह न तो सक्षम लग रहा था और न ही अक्षत । पर निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता था ।
वह कुछ बोल पाती कि इतने में एक कार आकर उसके घर रुकी । उसमें से सक्षम उतरा और वह पुलिस तथा भीड़ को देखकर विस्मित होते हुए बोला
"ये भीड़ क्यों हो रही है ? पुलिस क्यों आई है मेरे घर में ? क्या हुआ है यहां" ? वह थोड़ा घबरा भी रहा था ।
सक्षम के इस तरह बोलने पर थानेदार मंगल सिंह ने उससे पूछा "आप कौन हैं और क्या चाहते हैं" ?
मंगल सिंह की वर्दी पर टंगे हुए "दो सितारों" को देखकर सक्षम ने अनुमान लगा लिया कि वह सब इंस्पेक्टर है इसलिए वह बोला
"सर, मैं सक्षम हूं । यह घर मेरा है और यह मेरी पत्नी अनुपमा है" । उसने अनुपमा की ओर इशारा करते हुए कहा
"अच्छा तो आप घर के मालिक हैं । आप अभी कहां से आ रहे हैं" ?
इस प्रश्न पर सक्षम ठिठक गया । कुछ बोला नहीं । इतने में फोटोग्राफर, फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट आ गये । मंगल सिंह अनुपमा और सक्षम को छोड़कर लाश की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करवाने में व्यस्त हो गया । फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट अपना काम करने लगे । एक दो सिपाही मौके का नजरी नक्शा बनाने लगे । इंची टेप भी मंगवा लिया था जिससे लाश की सही जगह पता चल सके । कमरे का नाप लिया गया । खिड़कियों, दरवाजों की नाप ली गई और लाश की लंबाई भी नापी गई । लाश के खून का सैंपल लिया गया ।
अभी तक अक्षत का कोई अता पता नहीं था और न ही किसी को उसका ध्यान आया था । इसी बीच कामवाली बाई आई मगर वह पुलिस को देखकर ठिठक गई । पुलिस ने किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया । लाश अभी भी रहस्य बनी हुई थी और वह पहचानी नहीं जा सकी थी । पर सामने सक्षम खड़ा था इसलिए यह तो तय था कि लाश सक्षम की नहीं है । फिर किसकी है ? यही सबसे बड़ा सवाल था ।
(अगले अंक में आप पढेंगे कि लाश की शिनाख्त हुई या नहीं ? कत्ल घर के अंदर ही हुआ था या कत्ल बाहर करके लाश घर के अंदर डाल दी गई ? रात को सक्षम और अक्षत कहां पर थे ? ऐसे और भी प्रश्न हैं जिनके उत्तर अगले अंक में तलाश किये जाऐंगे )
श्री हरि
8.6.2023
Gunjan Kamal
03-Jul-2023 10:18 AM
Nice one
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Hari Shanker Goyal "Hari"
05-Jul-2023 09:39 AM
🙏🙏🙏
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Alka jain
27-Jun-2023 07:44 PM
Nice 👍🏼
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Hari Shanker Goyal "Hari"
05-Jul-2023 09:39 AM
🙏🙏🙏
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Shnaya
27-Jun-2023 06:31 PM
Nice 👍🏼
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Hari Shanker Goyal "Hari"
05-Jul-2023 09:38 AM
🙏🙏🙏
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